Form 12BB क्या है? इनकम टैक्स डिडक्शन के लिए इसे कैसे भरें – पूरी गाइड हिंदी में (2025)


परिचय – Form 12BB क्यों जरूरी है?

हर वेतनभोगी कर्मचारी की ख्वाहिश होती है कि उसकी सैलरी में से कम से कम टैक्स कटे और अधिकतम पैसे की बचत हो सके। लेकिन कई बार जानकारी की कमी या सही समय पर दस्तावेज़ न देने की वजह से न चाहते हुए भी ज़्यादा TDS (Tax Deducted at Source) कट जाता है। ऐसे में Form 12BB की भूमिका काफी अहम होता है।

Form 12BB क्या है

Form 12BB क्या है?/What is Form 12BB

Form 12BB एक घोषणा पत्र (declaration form) होता है, जिसे सैलरी पाने वाले कर्मचारी अपने नियोक्ता (employer) को देते हैं। इस फॉर्म में कर्मचारी अपने इनकम टैक्स डिडक्शन (जैसे HRA, LTA, 80C, 80D, Home Loan आदि) का विवरण देते हैं, ताकि TDS की सही गणना हो सके।

इस फॉर्म को भरने का उद्देश्य है —
1. सही टैक्स छूट का दावा करना
2. ज़रूरत से ज़्यादा TDS कटने से बचना
3. बाद में रिटर्न के समय झंझटों से बचाव करना

यह नियम कब से लागू हुआ?

Form 12BB भरने की प्रक्रिया 1 जून 2016 से लागू हुई, जब केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने एक अधिसूचना के ज़रिए इसे अनिवार्य बनाया। इसका मकसद था इनकम टैक्स डिडक्शन में पारदर्शिता लाना और सभी कर्मचारियों के लिए एक standard declaration format तय करना।

किन लोगों के लिए जरूरी है?

  • सिर्फ salaried employees के लिए यह फॉर्म अनिवार्य है
  • अगर आप नौकरी में हैं और किसी प्रकार की टैक्स छूट का लाभ लेना चाहते हैं, तो आपको फॉर्म 12BB भरना ही होगा
  • Self-employed या business वर्ग के लिए यह फॉर्म लागू नहीं होता है।

फॉर्म 12BB में क्या-क्या जानकारी देनी होती है?

फॉर्म 12BB कोई साधारण कागज नहीं है बल्कि यह आपके पूरे वित्तीय वर्ष के टैक्स प्लानिंग का आधार बन सकता है। इसमें कई महत्वपूर्ण जानकारी मांगी जाती है, जो सीधे तौर पर आपके TDS पर असर डालती हैं। आइए इन्हें एक-एक करके विस्तार से समझते हैं।

1. व्यक्तिगत विवरण (Personal Details)

फॉर्म की शुरुआत में आपको अपने बारे में बुनियादी जानकारी देनी होती है, जैसे-

  • पूरा नाम (Name)
  • स्थायी खाता संख्या – PAN (जो इनकम टैक्स की पहचान का मूल है)
  • आपका पद (Designation)
  • वर्तमान पता (Residential Address)
  • संबंधित वित्तीय वर्ष (जिसके लिए डिक्लेरेशन किया जा रहा है)

ये डिटेल्स इसलिए ज़रूरी हैं ताकि आपके नियोक्ता को सही जानकारी मिले कि ये घोषणाएं किस कर्मचारी से संबंधित हैं और किस अवधि के लिए लागू होंगी।

2. मकान किराया भत्ता (House Rent Allowance – HRA)

अगर आप रेंटेड घर में रहते हैं और अपने एचआरए (HRA) पर टैक्स छूट चाहते हैं, तो फॉर्म 12BB में ये जानकारी देनी होगी-

  • किराए की राशि: आपने पूरे वर्ष में कुल कितना किराया दिया
  • मकान मालिक का नाम और पता
  • PAN नंबर (यदि सालाना किराया ₹1 लाख से अधिक है)

ध्यान दें– इनकम टैक्स अधिनियम के तहत, ₹1 लाख या उससे अधिक सालाना किराया देने पर मकान मालिक का PAN देना अनिवार्य है। इसका ज़िक्र CBDT के निर्देशों में भी किया गया है।

3. यात्रा भत्ता (Leave Travel Allowance – LTA)

LTA पर टैक्स छूट पाने के लिए, आपको यात्रा संबंधी डिटेल्स भी इस फॉर्म में भरनी होती हैं-

  • यात्रा की तारीख और अवधि
  • स्थान का नाम जहाँ यात्रा की गई
  • यात्रा का माध्यम और टिकट/रसीदें

Example अगर आप गर्मियों की छुट्टियों में परिवार के साथ शिमला गए थे, तो आप उस यात्रा का ब्यौरा और टिकट लगाकर LTA का दावा कर सकते हैं।

इनकम टैक्स अधिनियम के तहत केवल भारत के भीतर की यात्रा ही मान्य होती है। इंटरनेशनल ट्रिप्स LTA के अंतर्गत नहीं आतीं।

4. निवेश और कटौती (Deductions under Chapter VI-A)

फॉर्म 12BB के ज़रिए आप ये भी दर्शा सकते हैं कि आपने सेक्शन 80C, 80D, 80E आदि के अंतर्गत कौन-कौन से निवेश किए हैं

Section 80C के तहत

  • LIC प्रीमियम
  • PPF (Public Provident Fund)
  • ELSS (Equity Linked Saving Scheme)
  • 5 साल की टैक्स-सेविंग FD
  • बच्चों की ट्यूशन फीस
  • NSC (National Saving Certificate)

Section 80D के तहत

  • हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम (स्वयं और परिवार के लिए)

Section 80E के तहत

  • शिक्षा ऋण पर ब्याज

प्रैक्टिकल टिप सभी निवेशों के प्रमाण पत्र या रसीदें अपने पास संभालकर रखें। साल के अंत में कंपनी इन दस्तावेज़ों की मांग कर सकती है।

5. होम लोन का ब्यौरा (Home Loan Details)

यदि आपने घर खरीदा है और उस पर लोन लिया है, तो उसके ब्याज और मूलधन की जानकारी भी आप इस फॉर्म में दे सकते हैं-

  • Principal Amount (जो Section 80C के अंतर्गत आता है)
  • Interest Amount (जो Section 24(b) के अंतर्गत आता है)

महत्वपूर्ण होम लोन पर ब्याज पर ₹2 लाख तक की छूट मिल सकती है अगर वह सेल्फ-ऑक्यूपाईड प्रॉपर्टी है।

इस जानकारी से नियोक्ता आपकी सैलरी से सही TDS काट सकता है और आपकी टैक्स देनदारी कम हो सकती है।

इस तरह, Form 12BB एक टैक्स-सेविंग टूल की तरह काम करता है, जिसमें आपके सारे योग्य दावों की जानकारी शामिल होती है। यह न सिर्फ आपको टैक्स छूट दिलाता है, बल्कि बाद में रिटर्न फाइल करते समय दस्तावेज़ों के मिलान में भी मदद करता है।

फॉर्म 12BB कब और किसे जमा करना चाहिए?

नया फाइनेंशियल ईयर शुरू होते ही (अप्रैल में)

जैसे ही नया वित्तीय वर्ष (1 अप्रैल) शुरू होता है, कंपनियां अपने कर्मचारियों से निवेश की घोषणाएं (investment declarations) मांगने लगती हैं। यहीं पर फॉर्म 12BB की ज़रूरत पड़ती है। यह फॉर्म आपको अपने नियोक्ता (employer) को देना होता है ताकि वह पूरे साल आपकी सैलरी से सही TDS काट सके।

Note अगर आप समय पर यह फॉर्म जमा नहीं करते हैं, तो नियोक्ता आपके टैक्स बेनिफिट्स को नहीं मानेगा और ज़्यादा TDS काट सकता है।

अगर आपने जॉब बदली है, तो क्या प्रक्रिया रहेगी?

मान लीजिए कि आप साल के बीच में किसी दूसरी कंपनी में नौकरी पर चले गए, तो क्या होगा?

  • ऐसी स्थिति में आपको पहले वाले नियोक्ता से फॉर्म 16 लेना चाहिए
  • नए नियोक्ता को फॉर्म 12BB के ज़रिए अपने पूरे साल की टैक्स डिटेल्स देनी चाहिए
  • इससे वह आपकी पिछली इनकम को भी जोड़कर सही TDS काट पाएगा

Actual proofs कब देने होते हैं?

साल की शुरुआत में आप अनुमानित डिक्लेरेशन देते हैं, लेकिन जनवरी या फरवरी के आसपास नियोक्ता आपसे actual proofs (जैसे रसीदें, निवेश के डॉक्यूमेंट्स, किराए की रसीद, आदि) मांगता है।

Important अगर आपने शुरुआत में कुछ डिक्लेयर किया और बाद में उसका प्रूफ नहीं दे पाए, तो कंपनी वह छूट नहीं मानती और TDS बढ़ा देती है।

Form 12BB vs income tax return – क्या फर्क है?

बहुत से लोग फॉर्म 12BB और ITR (Income Tax Return) को एक जैसा समझ लेते हैं, लेकिन इन दोनों का मकसद और प्रक्रिया बिल्कुल अलग है।

पॉइंटफॉर्म 12BBइनकम टैक्स रिटर्न (ITR)
उद्देश्यसाल के बीच में निवेश की डिक्लेरेशनसाल के अंत में फाइनल टैक्स डिटेल जमा करना
जमा करने वालाकर्मचारी अपने नियोक्ता कोटैक्सपेयर खुद इनकम टैक्स विभाग को
समयअप्रैल–जून के बीच (या जॉइनिंग के बाद)आमतौर पर 31 जुलाई तक (अगले साल)
असरTDS कम या ज्यादा कटता हैअंतिम टैक्स बकाया या रिफंड तय होता है

गलत या अधूरी declaration का असर

अगर आपने फॉर्म 12BB में गलत या अधूरी जानकारी दी, तो इसका असर आपकी ITR फाइलिंग पर पड़ सकता है।

उदाहरण
“सुमन ने फॉर्म 12BB में ELSS निवेश डिक्लेयर किया, लेकिन बाद में निवेश नहीं किया और प्रूफ नहीं दे पाईं। कंपनी ने उनकी सैलरी से ज्यादा TDS काटा। जब ITR फाइल करने गईं, तो mismatch की वजह से उन्हें notice आ गया।”

Conclusion
फॉर्म 12BB सिर्फ एक declaration नहीं, बल्कि आपकी टैक्स प्लानिंग का पहला कदम है। इसे सही समय पर और पूरी जानकारी के साथ भरना बहुत जरूरी है, ताकि साल के अंत में आपकी इनकम टैक्स रिटर्न बिना किसी झंझट के भरे जा सके।

अगर फॉर्म 12BB न दें तो क्या होगा?

फॉर्म 12BB एक महत्वपूर्ण डॉक्यूमेंट है जो कर्मचारी (salaried person) और कंपनी दोनों के लिए टैक्स डिडक्शन की पारदर्शिता बनाए रखने में मदद करता है। इसे न देना छोटी सी गलती लग सकती है, लेकिन इसके नतीजे बड़े हो सकते हैं-

1. ज्यादा TDS कटेगा

अगर आपने अपने इनकम टैक्स बचाने वाले निवेशों की जानकारी समय पर नहीं दी, तो आपका नियोक्ता मान लेगा कि आपने कोई निवेश नहीं किया। नतीजा?

➡ आपकी सैलरी से जरूरत से ज्यादा TDS (Tax Deducted at Source) काट लिया जाएगा।

उदाहरण “अंजलि ने फॉर्म 12BB भरने में देर कर दी, जिससे दिसंबर तक हर महीने ₹3,000 ज़्यादा टैक्स कटता रहा।”

2. बाद में ITR filing से refund लेना पड़ेगा

बेशक, आप ITR (Income Tax Return) फाइल करते समय अतिरिक्त काटे गए टैक्स का रिफंड ले सकते हैं, लेकिन-

  • इसके लिए डॉक्यूमेंट्स इकट्ठा करने होंगे
  • क्लेम को इनकम टैक्स विभाग से पास करवाना होगा
  • कभी-कभी प्रोसेस लंबा हो सकता है

➡ यानी आपकी मेहनत की कमाई आपके ही अकाउंट में देर से वापस आती है।

3. कंपनी भी penalize हो सकती है

यदि नियोक्ता आपके गलत या अधूरे डिक्लेरेशन के आधार पर TDS में कोई गड़बड़ी करता है, तो इनकम टैक्स विभाग कंपनी पर भी जुर्माना (penalty) लगा सकता है।

इसीलिए कई कंपनियां अब बिना फॉर्म 12BB के कोई टैक्स बेनिफिट देने से मना कर देती हैं।

कुछ आम गलतियाँ जो लोग फॉर्म 12BB भरते समय करते हैं

फॉर्म 12BB भरते समय लोग जल्दबाज़ी या जानकारी की कमी के कारण कुछ आम गलतियाँ कर बैठते हैं, जो आगे चलकर दिक्कतें पैदा करती हैं-

1. मकान मालिक का PAN नंबर न देना

अगर आपने HRA (House Rent Allowance) क्लेम किया है और सालाना ₹1 लाख से ज्यादा किराया दिखा रहे हैं, तो मकान मालिक का PAN देना अनिवार्य है।

गलती– लोग PAN की जगह ‘NA’ या ‘will provide later’ लिख देते हैं।

नतीजा HRA क्लेम रिजेक्ट हो सकता है और TDS बढ़ सकता है।

2. अनुमानित राशि देना लेकिन प्रूफ न देना

शुरुआत में निवेश की अनुमानित राशि बताना ठीक है, लेकिन साल के अंत में अगर आपने उसका प्रूफ जमा नहीं किया-

➡ कंपनी छूट नहीं देती
➡ आपका टैक्स ज़्यादा कट जाता है

Example “विकास ने ₹1.5 लाख का LIC डिक्लेयर किया था, लेकिन सिर्फ ₹75,000 ही निवेश किया। कंपनी ने केवल उसी पर छूट दी और बाकी पर टैक्स काट लिया।”

3. गलत सेक्शन में क्लेम करना

कई बार लोग गलती से हेल्थ इंश्योरेंस को 80C में डाल देते हैं, जबकि उसका क्लेम सेक्शन 80D में होता है।

Tip हर निवेश का सही सेक्शन जानना जरूरी है — नहीं तो आपका क्लेम रिजेक्ट हो सकता है।

फॉर्म 12BB भरते समय ध्यान देने योग्य बातें

फॉर्म 12BB भरना केवल एक औपचारिकता नहीं है, बल्कि यह आपकी पूरी टैक्स प्लानिंग को प्रभावित करता है। इसीलिए इसे भरते समय कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद ज़रूरी है-

1. यह सिर्फ पुराने टैक्स सिस्टम में मान्य है

2020 से भारत सरकार ने नया टैक्स सिस्टम (New Tax Regime) लागू किया है जिसमें अधिकांश टैक्स छूटें और कटौतियां नहीं मिलतीं।

अगर आप नया टैक्स सिस्टम चुनते हैं-

  • तो Form 12BB भरने की जरूरत नहीं होती
  • लेकिन आप HRA, 80C जैसी छूटों का फायदा भी नहीं ले सकते

इसलिए फॉर्म भरने से पहले तय करें कि आप कौन-सा टैक्स सिस्टम अपनाने जा रहे हैं।

2. हमेशा साक्ष्य रखें

डिक्लेरेशन के साथ प्रूफ देना जरूरी है, खासकर फाइनेंशियल ईयर के अंत में। कुछ ज़रूरी दस्तावेज़:

  • किराए की रसीदें (Rent Receipts)
  • मकान मालिक का PAN
  • एलआईसी या NPS की पॉलिसी कॉपी
  • मेडिकल इंश्योरेंस की रसीद
  • एजुकेशन लोन का ब्याज विवरण

याद रखें केवल डिक्लेरेशन से काम नहीं चलता — दस्तावेज़ों का होना अनिवार्य है।

3. जॉब बदलने पर पुरानी डिटेल शेयर करें

अगर आपने साल के बीच में नौकरी बदली है, तो नई कंपनी को पुरानी कंपनी में दिए गए डिक्लेरेशन की जानकारी दें।

➡ इससे आपका टैक्स ठीक से कैलकुलेट होगा और डबल TDS से बचाव होगा।

निष्कर्ष – क्यों Form 12BB भरना एक स्मार्ट टैक्स प्लानिंग है

फॉर्म 12BB केवल एक कागज़ी फॉर्म नहीं है, बल्कि एक समझदार टैक्सपेयर की पहचान है। इसे समय पर और सही तरीके से भरने के कई फायदे हैं-

कम TDS, ज्यादा Take-home सैलरी

जब आप सही डिक्लेरेशन देते हैं तो कंपनी आपकी इनकम टैक्स छूटों को ध्यान में रखती है, जिससे-

➡ आपका TDS कम कटता है
➡ आपकी हर महीने की Take-home सैलरी बढ़ती है

रिटर्न में Refund की झंझट से बचाव

अगर आपने समय पर Form 12BB भर दिया, तो ITR filing के समय आपको टैक्स रिफंड के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा।

No excess tax → No refund waiting

टैक्स बचत और पारदर्शिता दोनों सुनिश्चित

Form 12BB न सिर्फ टैक्स बचाने का तरीका है, बल्कि यह यह भी दर्शाता है कि आप एक जिम्मेदार टैक्सपेयर हैं।

  • सरकार को सही डाटा मिलता है
  • आपकी इनकम पारदर्शी तरीके से रिपोर्ट होती है

टैक्स की प्लानिंग स्मार्टली कीजिए — Form 12BB समय पर भरिए।

फॉर्म 12BB से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

Q1: क्या self-employed लोग भी Form 12BB भरते हैं?

नहीं।
Form 12BB केवल Salaried employees के लिए होता है जो किसी कंपनी या संस्था में नौकरी करते हैं और हर महीने सैलरी पाते हैं।
Self-employed व्यक्तियों के लिए यह फॉर्म आवश्यक नहीं है — वे सीधे ITR filing के दौरान अपनी टैक्स डिडक्शन क्लेम करते हैं।

Q2: क्या Form 12BB online जमा किया जा सकता है?

अधिकांश आधुनिक कंपनियां अपने HR पोर्टल या ERP सिस्टम में Form 12BB को online भरने और जमा करने की सुविधा देती हैं।
लेकिन यह प्रक्रिया हर कंपनी के हिसाब से अलग हो सकती है।
अगर आपकी कंपनी ऐसा ऑनलाइन पोर्टल नहीं देती, तो आप Form 12BB प्रिंट करके HR को manually भी दे सकते हैं।

Q3: अगर landlord PAN देने से मना कर दे तो क्या करें?

अगर आप सालाना ₹1 लाख से अधिक किराया देते हैं, तो मकान मालिक का PAN देना अनिवार्य है
अगर landlord PAN देने से मना करता है:
कोशिश करें कि वह एक written declaration दे कि वह PAN देने में असमर्थ है
भविष्य के लिए ऐसा रेंट एग्रीमेंट करें जिसमें यह अनिवार्य हो
इसके बिना HRA exemption claim करना मुश्किल हो सकता है


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