इंट्राडे ट्रेडिंग में भाव कब बदलता है? जानिए वो राज़ जो आपको प्रॉफिट करा सकता है!
क्या आप जानते हैं कि इंट्राडे में भाव कैसे और कब बदलते हैं? इस पोस्ट में जानिए वो राज जो आपके इंट्राडे ट्रेडिंग प्रॉफिट को बढ़ा सकते हैं।
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इंट्राडे ट्रेडिंग सुनने में जितनी आसान लगती है, असल में उतनी आसान होती नहीं है। इसमें मुनाफा तो मिनटों में हो सकता है, लेकिन नुकसान भी उतनी ही तेजी से हो सकता है। और इस पूरे गेम का सबसे बड़ा हिस्सा है — भाव के उतार-चढ़ाव को सही समय पर पहचानना।
इस लेख मे आज हम यही जानने की कोशिश करेंगे किआखिर भाव बदलते क्यों हैं और हमें इसे समझने के लिए किन चीजों पर ध्यान देना चाहिए?
अगर आप जानना चाहते हैं कि ‘Intraday Trading Kya Hai | इंट्राडे ट्रैडिंग कैसे सीखे‘ तो यह लेख पढ़े!

इंट्राडे ट्रेडिंग मे भाव के उतार-चढ़ाव को समझना क्यों जरूरी है?
इंट्राडे ट्रेडिंग की सबसे बड़ी चुनौती यही है — भाव (Price) हर मिनट बदलता रहता है। एक छोटी सी चूक आपके पूरे दिन की कमाई को जीरो मे बदल सकती है।
अगर आप भाव के मूवमेंट को समझना नहीं सीखते हैं, तो यह वैसा ही है जैसे आंख बंद करके भीड़ में दौड़ लगाना — आप कितने भी तेज़ क्यों न भागें, टक्कर तो पक्की ही है।
इसीलिए किसी भी नए या अनुभवी इंट्राडे ट्रेडर के लिए ये समझना अनिवार्य है कि किसी स्टॉक का भाव कब बढ़ेगा या कब गिरेगा, और क्यों।
मिनटों में बदलती कीमतें – एक उदाहरण
मान लीजिए, सुबह 9:15 पर एक स्टॉक ₹120 पर ट्रेड कर रहा है। किसी सकारात्मक खबर के कारण अगले 10 मिनट में वह ₹130 तक चला जाता है। आप इस उछाल को देखकर बिना सोचे-समझे ₹130 पर खरीद लेते हैं।लेकिन ठीक 5 मिनट बाद ही, कुछ नेगेटिव अपडेट आता है और स्टॉक ₹118 तक गिर जाता है।
नतीजा? 15 मिनट के अंदर ही आपको नुकसान हो गया — सिर्फ इसलिए क्योंकि आपने भाव परिवर्तन के पीछे का कारण, वॉल्यूम, ट्रेंड या न्यूज एनालिसिस नहीं किया।
इंट्राडे ट्रेडिंग में सिर्फ भाव “कितना बढ़ा” या “कितना गिरा” देखना ही काफी नहीं होता है, बल्कि यह समझना भी जरूरी है कि क्यों हुआ और आगे क्या हो सकता है।
गलत फैसले का जोखिम
किसी भी इंट्राडे ट्रेडर के लिए भाव के उतार-चढ़ाव को नजरअंदाज़ करना सबसे बड़ा रिस्क है।
- बिना ट्रेंड समझे ट्रेड करना वैसा ही है जैसे बिना नक्शा पढ़े जंगल में जाना।
- एक गलती आपकी पूंजी को दिन के भीतर ही खत्म कर सकती है।
- कई बार ट्रेडर्स “FOMO” यानी Fear of Missing Out में फंस जाते हैं — उन्हें लगता है अगर अभी नहीं खरीदा तो मौका निकल जाएगा, और इसी जल्दबाज़ी में वो नुकसान उठा बैठते हैं।
इसलिए ज़रूरी है कि आप भाव का चार्ट पढ़ें, ट्रेंड लाइन, वॉल्यूम, और इंडिकेटर जैसे RSI या Moving Average का इस्तेमाल करें।
इंट्राडे ट्रेडिंग में ध्यान, विश्लेषण और संयम — तीनों का मेल जरूरी होता है।
कैसे पहचानें मूवमेंट?
भावों की दिशा को समझने के लिए कुछ बेसिक चीजें हैं जो हर इंट्राडे ट्रेडर को पता होनी चाहिए, जैसे-
- Candlestick Patterns– जैसे कि Doji, Hammer, Engulfing — ये बताते हैं कि मार्केट में उलटफेर हो सकता है।
- Volume Analysis– अगर स्टॉक का भाव ऊपर जा रहा है लेकिन वॉल्यूम कम है, तो ये सिग्नल हो सकता है कि मूवमेंट टिकाऊ नहीं है।
- Support और Resistance– ये वो स्तर होते हैं जहाँ अक्सर स्टॉक रुकता है या पलटता है। इन्हें पहचानना जरूरी है।
यह भी जानें ‘Chart Patterns के प्रकार | Support And Resistant In Hindi‘
एक आसान उदाहरण से समझें
मान लीजिए कि एक स्टॉक का प्राइस 100 रुपये है। सुबह 9:15 बजे के बाद उसमें तेजी आती है और वह 10:30 बजे तक 108 रुपये तक पहुंच जाता है। अब जो ट्रेडर इस तेजी को देखकर 10:30 पर खरीदेगा, वो शायद फंस सकता है — क्योंकि वहाँ पर Resistance Level था। यहीं पर अगर उसने प्राइस मूवमेंट को समझा होता, तो शायद Entry टाइम बेहतर चुन पाता।
इसलिए इंट्राडे में सफल होने के लिए सिर्फ भाव को देखना काफी नहीं है, बल्कि ये समझना जरूरी है कि भाव क्यों बदल रहा है और कब पलट सकता है।
इंट्राडे ट्रेडिंग में भाव कैसे बदलते हैं?
इंट्राडे ट्रेडिंग में भाव का उतार-चढ़ाव अचानक और तेजी से होता है। एक ही स्टॉक कभी सुबह 10 बजे तेजी में होता है, तो दोपहर 12 बजे तक गिरावट में आ जाता है।
अब सवाल उठता है — आख़िर ऐसा क्यों होता है?
इसका जवाब दो मुख्य चीज़ों में छुपा है-
- Demand और Supply
- मार्केट सेंटिमेंट
इन दोनों को समझना हर इंट्राडे ट्रेडर के लिए ज़रूरी है।

Demand और Supply का खेल
जैसे कि, आमतौर पर किसी प्रोडक्ट की मार्केट में डिमांड ज़्यादा होती है, तो उसका दाम बढ़ जाता है — ठीक वैसा ही शेयर बाज़ार में भी होता है।
- जब किसी स्टॉक को खरीदने वाले ज़्यादा होते हैं (demand high), तो उसका भाव बढ़ता है।
- और जब बेचने वाले ज़्यादा होते हैं (supply high), तो भाव नीचे गिरने लगता है।
उदाहरण के लिए- अगर किसी कंपनी का तिमाही रिजल्ट अच्छा आया है, तो ट्रेडर्स उसे तेजी से खरीदने लगते हैं। इस वजह से demand बढ़ती है और भाव ऊपर जाने लगता है।
लेकिन अगर उसी कंपनी को किसी सरकारी या अन्य जांच का नोटिस मिल जाए — तो panic में लोग उसे बेचने लगते हैं, जिससे supply बढ़ती है और भाव गिर जाता है।
इसलिए इंट्राडे में demand-supply को real-time पर समझना, एक trader के लिए सबसे बड़ा हथियार होता है।
मार्केट सेंटिमेंट का असर
कभी-कभी भाव का बदलना किसी ठोस खबर या कारण पर नहीं, बल्कि केवल अफवाह, मूड या sentiment पर भी निर्भर करता है।
- अगर मार्केट का मूड bullish है (लोगों को लगता है कि मार्केट ऊपर जाएगा), तो लोग ज़्यादा खरीददारी करते हैं।
- अगर किसी ग्लोबल न्यूज़ से डर का माहौल बनता है (जैसे युद्ध, recession की आशंका), तो मार्केट bearish हो जाता है।
उदाहरण- मान लीजिए अमेरिका की inflation रिपोर्ट आने वाली है। उससे पहले ही डर के कारण लोग sell करने लगते हैं — चाहे actual रिपोर्ट आई हो या नहीं। यही है sentiment-driven trading।
इसलिए सफल इंट्राडे ट्रेडर वो है जो भाव को सिर्फ चार्ट पर नहीं, बल्कि लोगों की सोच में भी पढ़ पाता है।
भावों के मूवमेंट को ट्रैक करने वाले प्रमुख टूल्स
इंट्राडे ट्रेडिंग में सिर्फ gut feeling से काम नहीं चलता, बल्कि यहां डेटा, पैटर्न, और सिग्नल्स को पढ़ना पड़ता है।
यही काम करते हैं – तकनीकी टूल्स।
अगर आप price movement को ठीक से समझना चाहते हैं, तो ये तीन चीज़ें आपके सबसे बड़े दोस्त होंगे-
चार्ट्स – Line, Bar, और Candlestick
शेयर का भाव कैसे ऊपर-नीचे जा रहा है, उसे visual तरीके से समझने का सबसे आसान तरीका है — चार्ट्स।
- Line Chart– सबसे सिंपल चार्ट। सिर्फ closing price को जोड़कर एक लाइन बनाई जाती है। Beginners के लिए अच्छा होता है, लेकिन इसमें details नहीं मिलतीं।
- Bar Chart– इसमें हर बार में चार चीजें दिखती हैं — Open, High, Low और Close (OHLC)। इससे आपको दिनभर का पूरा मूवमेंट समझ आता है।
- Candlestick Chart– ये सबसे popular और powerful चार्ट है। इसमें हर कैंडल आपको बताती है कि buyers जीते या sellers — और कितनी ताकत से।
Pro Tip- Candlestick patterns (जैसे Doji, Hammer, Engulfing) से reversal और continuation signals का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।
Indicators – RSI, MACD, Moving Averages
इंट्राडे में कई बार भाव flat लगता है, लेकिन अंदर एक signal छिपा होता है। उसे पकड़ने के लिए ज़रूरी हैं — Indicators।
- RSI (Relative Strength Index): ये बताता है कि कोई स्टॉक overbought (बहुत खरीदा गया) या oversold (बहुत बेचा गया) है या नहीं।
- MACD (Moving Average Convergence Divergence): इससे momentum और trend reversal का पता चलता है।
- Moving Averages (MA): ये average price को दिखाता है। Short term (जैसे 9 MA) और long term (50 MA, 200 MA) से trend का अंदाज़ा लगता है।
उदाहरण- अगर 9 MA, 50 MA को ऊपर से काटता है तो वो एक bearish signal हो सकता है।
लेकिन ध्यान रखें — कोई indicator 100% accurate नहीं होता। इन्हें price action के साथ मिलाकर ही इस्तेमाल करें।
यह भी पढ़ें ‘Trading Indicator क्या हैं | 5 Best Trading Indicator in 2025‘
वॉल्यूम एनालिसिस का महत्व
Price तभी move करता है जब उसके पीछे volume होता है।
- अगर किसी स्टॉक में तेजी आई लेकिन volume low है — तो वो move टिकाऊ नहीं होगा।
- लेकिन अगर बढ़ते भाव के साथ volume भी बढ़े — तो वो एक strong signal है।
उदाहरण- एक स्टॉक 5% ऊपर गया है लेकिन volume में कोई खास jump नहीं है, तो शायद वो एक trap भी साबित हो सकता है।
इसलिए हर इंट्राडे मूव को देखते समय volume को ignore बिल्कुल न करें — ये price के पीछे की “सच्चाई” दिखाता है।
ट्रेंड को पहचानना – कब खरीदें और कब बेचें?
इंट्राडे ट्रेडिंग सही समय पर एंट्री और एग्ज़िट का ही सारा खेल है। लेकिन समय तभी पकड़ा जा सकता है जब आपको ट्रेंड की सही समझ हो।
ट्रेंड को पहचानने का मतलब यह जानना होता है कि मार्केट ऊपर जाएगा, नीचे जाएगा या साइडवे रहेगा। और इसके लिए दो concepts बेहद जरूरी हैं-
यह भी विस्तार से जाने ‘शेयर कब खरीदे और कब बेचें‘
Support और Resistance की भूमिका
Support– वह स्तर (level) है जहां स्टॉक बार-बार गिरकर भी संभल जाता है। यानि buyer वहीं आकर एक्टिव हो जाते हैं।
Resistance– वो लेवल होता है जहां भाव बार-बार अटक जाता है, और sellers हावी हो जाते हैं।
उदाहरण- अगर कोई स्टॉक ₹100 पर बार-बार रुक रहा है, तो ₹100 उसका resistance है। और अगर वह ₹90 पर बार-बार संभल रहा है, तो वो उसका support।
ट्रेडिंग स्ट्रैटेजी–
- Support के पास खरीदना
- Resistance के पास बेच देना
…यही इंट्राडे की एक smart planning है।
Breakouts और Fakeouts में फर्क
Breakout तब होता है जब भाव support या resistance को जोर से तोड़ देता है — और trend में नया मोड़ आता है।
लेकिन सावधान! हर breakout असली नहीं होता है, कई बार market आपको फसाने के लिए झूठा signal भी देता है — इसे कहते हैं Fakeout।
उदाहरण- किसी स्टॉक ने ₹100 की resistance को तोड़ा और ₹101 पर चला गया, लेकिन फिर तुरंत ₹98 पर गिर गया — यह एक fakeout है।
Pro Tip–
Breakout पर volume ज़रूर देखें — अगर high volume के साथ breakout हो रहा है, तो वह ज़्यादा भरोसेमंद होता है।
मनोविज्ञान और भाव परिवर्तन
इंट्राडे ट्रेडिंग सिर्फ numbers का ही खेल नहीं है। यहां भावनाएं भी बहुत बड़ी भूमिका निभाती हैं।
डर और लालच कैसे भाव को प्रभावित करते हैं ?
- जब मार्केट गिरने लगता है, तो trader panic में आकर जल्दी बेच देते हैं — इसे कहते हैं fear selling।
- वहीं जब मार्केट चढ़ने लगता है, तो लोग सोचते हैं “अब नहीं खरीदा तो मौका चला जाएगा!” — और ये होती है FOMO (Fear of Missing Out)।
यही डर और लालच price movement को झटका दे देते हैं।
इसलिए एक अच्छा इंट्राडे ट्रेडर वही होता है जो अपने इमोशन पर काबू रखे — और फैसला सिर्फ data देखकर करे, न कि दिल की सुनकर।
भीड़ का व्यवहार और उसका असर
“लोग जो कर रहे हैं, मैं भी वही करूं!” — यह सोच आपको नुकसान पहुंचा सकती है।
Crowd psychology में कई बार लोग बिना analysis के सिर्फ दूसरों को देखकर ट्रेड करने लगते हैं।
- जैसे अगर news में एक स्टॉक viral हो गया — तो सारे लोग उसे खरीदने लगते हैं।
- पर जैसे ही वो गिरता है, panic selling शुरू हो जाती है।
ध्यान रखें — इंट्राडे में भीड़ के पीछे भागना अक्सर घाटे का सौदा होता है।
Best तरीका यह है कि आप अपनी strategy बनाएँ, और market noise से खुद को अलग रखें।
इंट्राडे ट्रेडिंग मनोविज्ञान को विस्तार से जानने के लिए यह लेख पढ़ें ‘ट्रेडिंग मनोविज्ञान क्या है ? | How To Develop Trading Psychology In Hindi‘
भाव परिवर्तन को एक रीयल लाइफ उदाहरण से समझें
अगर आप इंट्राडे ट्रेडिंग में नए हैं, तो रीयल लाइफ उदाहरण से समझना ज्यादा आसान होता है। चलिए, एक स्टॉक की कहानी समझते हैं जो ₹100 से ₹115 तक बढ़ता है, और उस सफर में क्या होता है।

₹100 से ₹115 तक का सफर – एक स्टॉक की कहानी
मान लीजिए, Stock A का मूल्य ₹100 था और एक दिन अचानक यह ₹115 तक पहुंच गया।
कई ट्रेडर्स ने इसे पसंदीदा stock मान लिया, और उसे खरीदने की होड़ लग गई।
पर कुछ ही घंटों में, ये स्टॉक ₹115 से ₹110 पर आ गया। अब जिन लोगों ने ₹115 पर खरीदा, उन्होंने panic selling शुरू कर दी।
सीख–
- भावों में उतार-चढ़ाव एक सामान्य प्रक्रिया है।
- आपको फैसले तुरंत नहीं लेने चाहिए, खासकर तब जब भाव थोड़े बढ़ते या घटते हैं।
- सही entry और exit timing से आप इस उतार-चढ़ाव से बच सकते हैं।
Entry और Exit टाइमिंग में की गई गलती
यहां बहुत सी गलती की जाती है। कई लोग emotionally ट्रेंड में कूद पड़ते हैं और सोचते हैं “अब और बढ़ेगा!”, जबकि किसी ट्रेडर ने सही exit point पर इसे बेचा होता है।
गलती–
सही समय पर बेचना या खरीदना ही आपको लाभ दिलाता है।
स्टॉक ₹115 तक पहुंचते ही खरीदना और फिर ₹110 पर बेच देना।
क्या भाव की भविष्यवाणी करना संभव है?
इंट्राडे ट्रेडिंग मे मुख्य सवाल यही होता है — क्या भावों का सही अनुमान लगाया जा सकता है?
आइए, इसे समझते हैं।
तकनीकी विश्लेषण की भूमिका
तकनीकी विश्लेषण स्टॉक की कीमतों और उनके पिछले इतिहास का अध्ययन करता है ताकि भावों का अनुमान लगाया जा सके।
- Charts और Indicators जैसे RSI, MACD, और Moving Averages आपको यह समझने में मदद करते हैं कि कब खरीदें और कब बेचें।
- इन उपकरणों की मदद से आप price trends और momentum का विश्लेषण कर सकते हैं।
लेकिन याद रखें, यह केवल एक अनुमान है। न तो कोई भी indicator 100% सही होता है, न ही कोई ट्रेडिंग रणनीति।
सीमाएं और सटीकता
सीमाएं हमेशा होती हैं। भावों का सटीक अनुमान करना कभी-कभी मुश्किल हो सकता है। कई external factors जैसे global news, political events, और economic reports भी ट्रेडिंग पर असर डाल सकते हैं।
आपके पास सही tools और techniques हो सकती हैं, लेकिन हमेशा कुछ अनचाहे market forces भी काम करते रहते हैं, जो भविष्यवाणी को बदल सकते हैं।
इंट्राडे ट्रेडिंग मे भाव के उतार-चढ़ाव से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
Q1. क्या price movement पूरी तरह से तकनीकी टूल्स से समझा जा सकता है?
नहीं, price movement को पूरी तरह से तकनीकी टूल्स से नहीं समझा जा सकता है। तकनीकी विश्लेषण indicators, charts और patterns का इस्तेमाल करते हुए trends को पहचानने में मदद करता है, लेकिन कभी-कभी बाहरी घटनाएँ जैसे news या economic factors भावों को प्रभावित कर सकती हैं। इसलिए, तकनीकी टूल्स के साथ-साथ fundamental analysis और market sentiment को भी ध्यान में रखना जरूरी है।
Q2. शुरुआती ट्रेडर्स के लिए कौन सा ट्रेडिंग चार्ट सबसे अच्छा है?
शुरुआत करने वाले ट्रेडर्स के लिए Candlestick Chart सबसे अच्छा होता है। यह न केवल price action को स्पष्ट रूप से दिखाता है, बल्कि इसमें हर बार की open, close, high, और low कीमतों का भी पता चलता है। इसके अलावा, Candlestick patterns (जैसे Doji, Engulfing) का उपयोग करके आप भावों की दिशा का अनुमान भी लगा सकते हैं।
Q3. क्या Intraday Trading में हमेशा जोखिम होता है?
जी हां, इंट्राडे ट्रेडिंग में हमेशा जोखिम होता है। यह एक बहुत ही volatile बाजार है, जहाँ भाव बहुत तेजी से बदल सकते हैं। हालांकि, risk management तकनीकों (जैसे stop loss और position sizing) को लागू करके आप जोखिम को कम कर सकते हैं, लेकिन फिर भी एक जोखिम हमेशा बना रहता है। इसलिए, इसमें निवेश करने से पहले अच्छी research और planning की जरूरत होती है।
Q4. क्या केवल भाव देखकर निर्णय लेना ठीक है?
नहीं, केवल भाव देखकर निर्णय लेना पूरी तरह से सही नहीं है। इंट्राडे ट्रेडिंग में price action को देखने के अलावा, आपको technical indicators, market sentiment, और news को भी ध्यान में रखना चाहिए। केवल भावों के आधार पर निर्णय लेने से कभी-कभी false signals मिल सकते हैं, जिससे नुकसान हो सकता है। इसलिए comprehensive analysis और strategic planning से ही बेहतर फैसले लिए जा सकते हैं।
निष्कर्ष – इंट्राडे ट्रेडिंग मे भाव को समझने का सही तरीका
जब बात इंट्राडे ट्रेडिंग की आती है, तो आपको सिर्फ टेक्निकल विश्लेषण पर ही नहीं, बल्कि अनुभव और धैर्य पर भी ध्यान देना चाहिए।
तकनीक + अनुभव + धैर्य = सही निर्णय
- तकनीकी विश्लेषण– भावों का अनुमान करने के लिए मददगार।
- अनुभव– आपके द्वारा किए गए ट्रेड्स और market behavior से सीखा गया ज्ञान।
- धैर्य– जोड़ा जाए तो व्यापार को सही तरीके से मैनेज करने की शक्ति।
अगर ये तीनों साथ मिलकर काम करें, तो आप सही समय पर सही फैसला ले सकते हैं।
आपका क्या ख्याल है इस बारे में?” या “क्या आपने कभी इंट्राडे ट्रेडिंग की है? अपनी प्रतिक्रिया कमेन्ट मे जरूर बताएं।