हिन्दी ब्लॉगिंग समस्याएं | हिन्दी ब्लॉगिंग का भविष्य क्या होगा ? | Hindi Blogging Problems

 ब्लॉगिंग चाहे किसी भी भाषा मे की जाए सबका तरीका एक सा ही होता है। अन्तर सिर्फ इतना होता है कि अंग्रेजी भाषा में कम्पटीशन बहुत अधिक है इसलिए वहां ज्यादा ज्ञान और रिसर्च की आवश्यकता होती है।

वहीं हिन्दी या अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में कम्पटीशन अभी काफी कम है इसलिए यहां ब्लॉगिंग करना लाभदायक हो सकता है, गूगल भी क्षेत्रीय भाषाओं को लगातार प्रोत्साहित कर रहा है।

परन्तु क्षेत्रीय भाषाओं में ब्लॉगिंग की शुरुआत करने में भी काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इस लेख में मुख्यतः हिन्दी ब्लॉगरों की बात की जा रही है कि तमाम नए या पुराने हिन्दी ब्लॉगरों को किन-किन समस्याओं का सामना करते रहना पड़ता है।

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लेख में यह नही बताया जा रहा है कि ब्लॉग कैसे बनाया जाता है या Hosting कौन सी खरीदें क्योंकि जो भी बंदा ब्लॉगिंग कर रहा है उसे यह सब पता ही होता है। यह लेख मुख्यतः उन ब्लॉगरों के लिए है जो हिन्दी ब्लॉगिंग तो कर रहे हैं लेकिन बहुत सी समस्याओं का समाधान उन्हें नही मिल पा रहा है।

हिन्दी ब्लॉगरों की प्रमुख समस्याएं

हिन्दी ब्लॉगिंग के बारे में अभी बहुत ज्यादा बात नही की जाती है इसलिए जब आप हिन्दी ब्लॉगिंग कर रहे होते हैं तो आपको बहुत सी मुश्किलों और चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा होता है।

यहां हिन्दी ब्लॉगरों की कुछ प्रमुख समस्याओं और उनका समाधान बताने का प्रयास किया गया है।

 कीवर्ड रिसर्च

कीवर्ड रिसर्च हमेशा से ही हिन्दी ब्लॉगरों की एक बहुत बड़ी समस्या रही है। क्योंकि हम ब्लॉगरों को सबसे पहले यही बताया जाता है कि बिना कीवर्ड रिसर्च किये अगर हम कोई आर्टिकल लिखेंगे तो गूगल पर कभी रैंक ही नही कर पाएंगे।

और हिन्दी ब्लॉगर के आगे समस्या यह होती है कि मार्केट में जो भी कीवर्ड रिसर्च टूल्स उपलब्ध हैं वह सब अंग्रेजी भाषा के लिए ही बने हैं और अंग्रेजी पर ही सटीक बैठते हैं। ये टूल्स हिन्दी भाषा के लिए बहुत ज्यादा सटीक और प्रभावशाली परिणाम नहीं दे पाते हैं।

यदि आप भी हिन्दी ब्लॉगर हैं तो जरूर आप भी इस समस्या से जूझ रहे होंगे। तो इस समस्या का क्या समाधान हो सकता है इसकी बात करते हैं।

वैसे तो कीवर्ड रिसर्च अपने आप में एक बहुत बड़ा विषय है जिसका विस्तार से वर्णन किसी अन्य लेख में किया जाएगा।

यहां पर इस समस्या का सबसे आसान उपाय खुद गूगल ही है आप अपना कीवर्ड गूगल मे सर्च कीजिये गूगल आपको उसकी पूरी जानकारी प्रदान कर देगा।

जिससे आपको अपने आर्टिकल के लिए ढेरों आईडिया और सुझाव मिल जाएंगे। किसी भी भाषा के लिए कीवर्ड रिसर्च का यह सबसे बेस्ट तरीका हो सकता है।

किसी कीवर्ड का सर्च वॉल्यूम कितना है इसका अंदाजा उसकी उपयोगिता से भी लगाया जा सकता है जिसे आप खुद से ही समझ सकते हैं।

परन्तु यदि आप किसी ऐसे टॉपिक पर आर्टिकल लिख रहे हैं जिसका आपको अच्छा ज्ञान है और उस टॉपिक पर आपकी पकड़ भी बहुत अच्छी है तो ऐसे में कीवर्ड रिसर्च की बहुत ज्यादा आवश्यकता ही नही होती है।

उदाहरण के लिए जैसे मुझे ‘ हिन्दी ब्लॉगिंग कैसे करें ?’ टॉपिक पर लेख लिखना है तो इसमे कीवर्ड रिसर्च क्यों करना है, मुझे तो वह लिखना है न जो मैंने जाना है, समझा है, अनुभव किया है और जिससे मुझे सफलता मिली है।

अगर इसी टॉपिक को मैं कीवर्ड रिसर्च कर के लिखूं तो इसका मतलब यह हुआ कि मैं भी वही लिखूं जिसे पहले से ही इंटरनेट पर बहुत से लोगों द्वारा लिखा जा चुका है।

इसलिए मेरा मानना है कि यदि आपकी किसी विषय पर पकड़ अच्छी है और उस टॉपिक का आपके पास प्रायोगिक ज्ञान भी है तो उस टॉपिक पर आर्टिकल लिखने के लिए आपको किसी प्रकार का कीवर्ड रिसर्च करने की कोई आवश्यकता नही होती है।

बहुत से लोग मेरी इस बात से सहमत नही होते हैं आपकी इस पर क्या राय है कमेंट करके जरूर बताएं।

 टॉपिक (Niche ) का चयन 

अपने ब्लॉग के लिए टॉपिक का चयन करना भी हिन्दी ब्लॉगरों की एक बड़ी समस्या होती है क्योंकि अधिकांश लोग पैसे कमाने के लिए ही ब्लॉगिंग करने आते हैं इसलिए उनको ऐसे टॉपिक की ही तलाश रहती है जिसमे बहुत ज्यादा ट्रैफिक मिलता हो।

हिन्दी मे यह माना जाता है कि सरकारी रिजल्ट, जॉब, टेक्नोलॉजी आदि जैसे कुछ विषयों पर लिखने से ही अधिक ट्रैफिक मिलता है और कहीं तक ये बात सही भी है इन विषयों पर बहुत अधिक ट्रैफिक मिलता भी है।

 इसलिए ज्यादातर लोग इसी विषय पर ब्लॉगिंग करना पसंद करते हैं। यही कारण है कि हिन्दी मे इन टॉपिक पर कम्पटीशन भी काफी अधिक बढ़ गया है।

लेकिन हिन्दी मे अभी भी बहुत से विषय ऐसे हैं जिन पर या तो लिखा ही नही गया है या फिर बहुत कम लिखा गया है। 

हिन्दी ब्लॉगर को ऐसे नए-नए टॉपिक ढूंढकर उन विषयों पर लिखना चाहिए जिससे उन्हें ट्रैफिक भी काफी अच्छा मिल सकता है और सफलता भी जल्दी मिलने की संभावना होती है।

आगर देखा जाए तो हिन्दी मे भी टॉपिक ( Niche ) की कोई कमी नहीं है, कमी है तो बस अच्छा लिखने वालों की।

 सभी सफल ब्लॉगर कहते हैं कि उसी टॉपिक पर लिखना ज्यादा अच्छा होता है जिसका आपको ज्ञान और अनुभव हो।और ये बात पूरी तरह से सच है।

यदि आप स्टूडेंट हैं तो पढ़ाई-लिखाई से संबंधित ब्लॉग लिखें, खेलकूद के शौकीन हैं तो उस विषय पर लिखें, जॉब करते हैं तो जॉब से संबंधित जो समस्याएं आती हैं उस पर लिखें उन समस्याओं का समाधान भी लोगों को बताएं। अगर आप व्यापार करते हैं तो आपके पास कभी विषयों की कमी ही नही होगी लिखने के लिए।

और हां यदि इन सब टॉपिक का ट्रैफिक और कमाई किसी टूल से चेक करने की कोशिश करेंगे तो शायद वह कुछ बताए ही नही क्योंकि ऐसे बहुत से टॉपिक होंगे जिन पर लिखा ही नही गया होगा। कोई भी टूल उन्हीं टॉपिक की जानकारी देता है जिस पर बहुत से लोगों ने पहले से लिखा होता है।

SEO ( सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन )

SEO भी एक ऐसी चीज है जिसमे हिन्दी ब्लॉगरों को बहुत अधिक परेशानी आती है। क्योंकि SEO के जितने टूल, तरीके और फार्मूले हैं वह सब अंग्रेजी ब्लॉगिंग को ही ध्यान मे रखकर बनाए गए हैं।

इसके अलावा बहुत से लोगों ने अपने टूल्स और सर्विस बेचने के लिए SEO का बहुत बड़ा हौव्वा तैयार कर रखा है जिससे उनको आर्थिक रूप से काफी फायदा भी होता है।

लेकिन हिन्दी ब्लॉगर को इन टूल्स वगैरह के इस्तेमाल से कोई खास फायदा नही होता है इसलिए SEO को लेकर हिन्दी ब्लॉगर काफी दुविधा में फंसे रहते हैं।

यदि हिन्दी ब्लॉगिंग की बात की जाए तो यहां पर एक अच्छा कंटेंट लिख दिया जाए और बेसिक SEO का पालन किया जाए तो बस इतना ही काफी होता है रैंक होने के लिए।

और बेसिक SEO का मतलब सिर्फ इतना ही होता है कि आप गूगल को यह जानकारी दे दें कि आप अपना आर्टिकल किस टॉपिक पर लिख रहे हैं। 

ध्यान रहे गूगल को सिर्फ बताना है। google के लिए लिखना नही है। लिखना अपने पाठकों के लिए ही है। यदि पाठक आपके लेख को पसन्द करता है तब भी गूगल समझ जाता है कि यह लेख कैसा है और किस टॉपिक पर लिखा गया है।

SEO के विषय में सही जानकारी चाहते हैं तो Youtube वीडियो की जगह गूगल का ब्लॉग पढ़िए उससे आपको समझ मे आ जाएगा कि SEO कितनी साधारण चीज है। यदि Youtube वीडियो देखेंगे तो SEO को कभी सही से समझ ही नही पाएंगे।

हिन्दी ब्लॉगर को SEO के सिर्फ बेसिक नियमों का पालन करना होता है बाकी पूरा ध्यान कंटेंट की गुणवत्ता पर लगाना है, यहां मैंने खुद अनुभव किया है कि यदि कंटेंट अच्छा है और पाठकों को पसंद आ रहा है तो बिना किसी खास SEO के भी वह गूगल के पहले पेज पर रैंक करने लगता है। 

गूगल भी पाठकों की पसंद और नापसंद को ही प्राथमिकता देता है और उसी आधार पर ही किसी आर्टिकल को पहले पेज पर स्थान देता है।

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हिन्दी ब्लॉगिंग का भविष्य

बहुत से हिन्दी ब्लॉगर ऐसे भी हैं जो ब्लॉगिंग तो कर रहे हैं लेकिन हिन्दी ब्लॉगिंग के भविष्य को लेकर चिंतित रहते हैं क्योंकि अधिकांश लोगों का मानना है कि हिन्दी ब्लॉगिंग का कोई भविष्य ही नही है इसलिए इस पर समय बर्बाद नही करना चाहिए।

वैसे तो ब्लॉगिंग का भविष्य क्या होगा ये किसी को नही पता है। हो सकता है कि भविष्य मे ब्लॉगिंग और अधिक बढ़ जाए, या ये भी हो सकता है कि भविष्य मे ब्लॉगिंग समाप्त ही हो जाए।

इसलिए जहां तक हिन्दी ब्लॉगिंग के भविष्य की बात है तो हिन्दी ब्लॉगिंग का भी वही भविष्य है जो इंग्लिश ब्लॉगिंग का है। यदि ब्लॉगिंग आगे बढ़ेगी तो सभी भाषाओं की बढ़ेगी  और यदि ब्लॉगिंग समाप्त होगी तो सभी भाषाओं की समाप्त होगी।

इस बात से इन्कार नही किया जा सकता है कि आजकल वीडियो ज्यादा पसन्द किया जाने लगा है जिससे लोगों मे पढ़ने की आदत कम होती जा रही है अगर भविष्य में यही चलन बढ़ता जाएगा तो ब्लॉगिंग के भविष्य को खतरा हो भी सकता है।

लेकिन यदि आप अच्छे कंटेंट राईटर हैं तो ब्लॉगिंग समाप्त होने के बाद भी आपका काम चलता रहेगा। ब्लॉगिंग समाप्त होने के बाद भी कंटेंट राईटर को काम मिलता रहेगा। वीडियो के लिए भी कंटेंट राईटर की आवश्यकता पड़ती ही रहेगी।

इसलिए सिर्फ हिन्दी ब्लॉगिंग के भविष्य को लेकर ही चिंतित होना सही नही है, क्योंकि जब इंग्लिश ब्लॉगिंग समाप्त होगी तभी हिन्दी ब्लॉगिंग भी समाप्त होगी। ब्लॉगिंग के साथ-साथ अपनी राईटिंग स्किल को भी डेवलप करते रहना जरूरी है जिससे ब्लॉगिंग के बाद भी कमाई चलती रहेगी।

निष्कर्ष

इस लेख में हिन्दी ब्लॉगरों से जुड़ी कुछ मुख्य समस्याओं की चर्चा की गई है हलाकि इसके अलावा भी बहुत सी अन्य समस्याएं भी होती हैं जिनकी चर्चा आगे आने वाले लेखों में होती रहेगी।

कीवर्ड रिसर्च, टॉपिक ( Niche ), और SEO आदि। ये सब अपने आप मे एक बहुत बड़ा विषय है एक ही लेख में सभी का विस्तृत विवरण संभव नहीं है। इससे संबंधित समय-समय पर अलग-अलग लेख प्रकाशित किये जाते रहेंगे।

हिन्दी ब्लॉगिंग के भविष्य पर प्रकाशित विचार मेरे निजी विचार हैं जिससे शायद सभी लोग सहमत न हों इसलिए मैं चाहता हूं इस विषय पर पाठक भी अपने विचार कमेंट के माध्यम से अन्य पाठकों तक अवश्य पहुचाएं।

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