शेयर बाजार | भारत के 4 प्रमुख stock exchange

  क्या आप भी ‘शेयर बाजार’ में काम करना चाहते हैं, पर यह नही पता कि ‘Stock Market’ और ‘Stock Exchange’ क्या होता है और कैसे  काम करता है ? अगर हाँ तो ये लेख आप के लिए ही है।

इस लेख में आपको शेयर बाजार और Stock Exchange की सम्पूर्ण जानकारी सरल भाषा मे  प्राप्त होगी।

मैं यह मानकर चल रहा हूं कि आप मे से अधिकांश लोगों को इस विषय मे बिल्कुल भी जानकारी नही है या बहुत कम है।

इसलिए यहाँ शेयर बाजार के हर पहलू को बहुत सीधी और सरल भाषा मे समझाने का प्रयास किया जा रहा है, मेरी कोशिश यही रहेगी कि तकनीकी शब्दों का कम से कम प्रयोग हो।

दोस्तों अगर आप को लगता है कि इस बाजार में काम करने के लिये गणित या अर्थशास्त्र में निपुण होना अति आवश्यक है तो आपकी यह धारण बिल्कुल गलत है।

यर बाजार में काम करने के लिए किसी खास विषय या क्षेत्र में निपुणता रखना कतई आवश्यक नही है।

शेयर बाजार में काम करने के लिए आपको इस बाजार का समान्य ज्ञान,  कंपनियों की जानकारी और बाजार के उतार-चढ़ाव को समझना आना चाहिए।

चलिए,सबसे पहले शेयर क्या होता है? इसे संक्षेप में समझ लेते हैं।

‘शेयर’ क्या होता है ? शेयर बाजार में निवेश कैसे करते हैं ?

आमतौर पर जब हम ‘शेयर’ की बात करते हैं तो इसका मतलब ‘हिस्सेदारी’ से होता है, अर्थात किसी कंपनी का शेयर यदि आपके पास है तो इसका अर्थ यह हुआ कि आप भी उस कंपनी में हिस्सेदार हैं।

साधारण भाषा में हम कह सकते हैं कि आपके पास किसी कंपनी के जितने प्रतिशत शेयर हैं आप उस कंपनी में उतने ही प्रतिशत के हिस्सेदार बन गए हैं।शेयर-बाजार-stock-exchange-hindi

भविष्य मे यदि वह कंपनी लाभ कमाती है तो उस लाभ का हिस्सा आपको भी प्राप्त होगा और यदि उस कंपनी को हानि होती है तो आपको भी हानि उठानी पड़ेगी।

जहाँ पर इन शेयरों की खरीद-बिक्री की जाती है उस बाजार को ही ‘शेयर बाजार’ कहा जाता है,और ये बाजार ‘Stock Exchange’ द्वारा संचालित एवं नियंत्रित होता है।

Stock Exchange के माध्यम से ही शेयर की खरीद या बिक्री की जाती है। लेकिन कोई भी व्यक्ति या संस्था सीधे स्टॉक एक्सचेंज से शेयर न तो खरीद सकता है और न ही बेच सकता है।

इसके लिए Stock Exchange से पंजीकृत वित्तीय संस्थान जिसे ब्रोकर कहा जाता है, उसके पास अपना डीमैट खाता खुलवाना होता है। यदि आपको नही पता कि डिमैट अकाउंट क्या होता है? और कैसे खोला जाता है तो click करें।

ब्रोकर की मदद से डीमैट खाता खुलने के बाद उसे अपने बैंक खाते से लिंक करा कर बैंक खाते से डीमैट खाते में फंड ट्रांसफर करना होता है।
इस फंड से ही आप अपने पसंद की कंपनी का शेयर खरीद सकते हैं। जो भी शेयर खरीदते हैं वह आपके डीमैट खाते में उसी तरह सुरक्षित रहता है जैसे आपके बैंक खाते में आपका पैसा रहता है।इस शेयर को जब चाहे अपने ब्रोकर की मदद से बेच सकते है।

ये पूरी गतिविधि Stock Exchange के द्वारा ही संचालित और नियंत्रित होती है। स्टॉक एक्सचेंज पूर्णतया सरकार के दिशा- निर्देशों एवं नियमावली के आधार पर कार्य करता है।

शेयर बाजार की प्रत्येक गतिविधि सरकारी नियमावली पर आधारित है तथा सरकार द्वारा इस बाजार को पूर्णतया कानूनी दायरे में रखा गया है जिससे यहाँ पर धोखाधड़ी की गुंजाइश बहुत कम या न के बराबर होती है।

Stock Exchange क्या है और कैसे कार्य करता है ?

स्टॉक एक्सचेंज एक प्लेटफार्म की तरह काम करता है, जिसका मतलब ये है कि यदि हमें किसी कंपनी का शेयर खरीदना अथवा बेचना है तो हम सीधे उस कंपनी से न तो खरीद सकते है और न ही बेच सकते हैं बल्कि एक्सचेंज के माध्यम से ही शेयर की खरीद-बिक्री का कार्य कर सकते हैं।

Stock Exchange ही वह जगह है जहाँ कंपनियां सूचीबद्ध ( listed ) होती हैं। यह एक प्रकार से कंपनियों और निवेशको के बीच मध्यस्थ का कार्य करता है।

जब भी कोई आर्डर ब्रोकर के द्वारा स्टॉक एक्सचेंज को जाता है तो स्टॉक एक्सचेंज ऑर्डर के अनुसार खरीद या बिक्री की कार्यवाही करता है जिसका परिणाम ब्रोकर के माध्यम से आपको प्राप्त होता है।

शेयर के भाव भी Exchange के द्वारा ही निर्धारित होते हैं। आसान भाषा में हम यह कह सकते हैं कि शेयर बाजार की समस्त क्रिया -कलाप एक्सचेंज के माध्यम से ही संचालित होती हैं।

भारत में करीब 40 स्टॉक एक्सचेंज हैं इन सभी को भारत सरकार ने मान्यता दी है। इनमें से BSE और NSE दो सबसे बड़े और महत्वपूर्ण stock exchange हैं। भारत में बड़े पैमाने पर हर दिन शेयर कारोबार इन्ही दोनों एक्सचेंज के माध्यम से होता है।

भारत के प्रमुख Stock Exchange

 01 – ‘बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज’ ( Bombay Stock Exchange )

इसे संक्षेप मैं BSE भी कहा जाता है। यह दक्षिण एशिया का पहला और भारत समेत पूरे एशिया का सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज है।bse-in-hindi

इसकी स्थापना सन 1875 में हुई थी।यह भारत के दो प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज मे से एक है। इसका मुख्यालय ( दलाल स्ट्रीट ) मुम्बई में स्थित है।

Bombay Stock Exchange का आधार वर्ष 1978 – 79 माना गया है, और मूल्य वैल्यू 100 निर्धारित किया गया जो कि बढ़ते – बढ़ते आज 50,000 के ऊपर पहुँच गया है।

BSE के सूचकांक को सेंसेक्स ( sensex ) कहा जाता है।

2 – नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ( National stock Exchange )

संक्षेप में इसे NSE कहा जाता है। इसकी स्थापना सन 1992 में केशरवानी समिति की सिफारिश पर IDBI के द्वारा की गई थी।national-stock-exchange-in-hindi

NSE का मुख्यालय दक्षिण मुम्बई मे स्थिति है और यह भारत का सबसे बड़ा तथा विश्व में तीसरा सबसे बड़ा Stock Exchange है।

इसका आधार वर्ष 1995 माना गया है तथा आधार मूल्य 1000 माना गया था जो आज करीब 15,000 से भी ऊपर पहुच गया है।
National Stock Exchange का सूचकांक निफ्टी ( Nifty ) है।

3 – MCX ( Multi Commodity Exchange )mcx-ncdex-in-hindi

MCX एक्सचेंज में केवल गैर कृषि कमोडिटी जैसे –  क्रूड ऑयल, प्राकृतिक गैस, सोना – चांदी आदि की ट्रेडिंग होती है।

कमोडिटी ट्रेडिंग का यह बहुत बड़ा और मुख्य एक्सचेंज है।

4 – NCDEX ( National Commodity Derivative Exchange )

NCDEX  कृषि वस्तुवों जैसे – आलू, टमाटर, प्याज, गेहूं, चावल, कपास आदि की ट्रेडिंग के लिए भारत का सबसे बड़ा और मुख्य  Exchange है।

शेयर बाजार सूचकांक ( Stock Market Index )

शेयर बाजार सूचकांक बाजार की स्थिति को बताता है अर्थात बाजार ऊपर जा रहा या नीचे जा रहा है इसकी जानकारी हमें सूचकांक के माध्यम से  ही प्राप्त होती है।

सूचकांक मुख्यतः उन चुनिंदा कंपनियों के शेयरों का औसत होता है जो लगभग पूरे बाजार को प्रभावित करते हैं।

शेयर बाजार में इन्ही चुनिंदा कंपनियों के शेयरों में कारोबार सबसे अधिक होता है।

‘सेंसेक्स’ (Sensex)

Bombay Stock Exchange के सूचकांक को Sensex कहा जाता है जो भारत में सबसे अधिक प्रयोग होता है।

सेंसेक्स का गठन 1986 में किया गया था।

सेंसेक्स में 30 बड़ी कंपनियों के शेयर होते हैं, और इन 30 कंपनियों के शेयर भाव मे जो गिरावट या बढ़ोत्तरी होती है उसी अनुसार Sensex भी घटता या बढ़ता है।

‘निफ्टी’ (Nifty)

भारत का दूसरा महत्वपूर्ण सूचकांक जिसे Nifty के नाम से जाना जाता है, यह National Stock Exchange का सूचकांक है।

इसमे मुख्यतः 50 बड़ी-बड़ी कंपनियों के शेयर शामिल हैं ।

 इन 50  कंपनियों के शेयर भाव  ऊपर या नीचे जाने पर निफ्टी भी बढ़ती या घटती है।

 निफ़्टी या सेनसेक्स के शेयरों की सूची को NSE या BSE की वेबसाइट पर देखा जा सकता है।

    अगर आप यह देखना चाहते हैं कि बाजार में तेजी चल रही है या मंदी चल रही है अथवा दो वर्ष पहले या पाँच वर्ष पहले बाजार की क्या स्थित थी तो आपको केवल उस समय का सूचकांक देखने की आवश्यकता होती है।

इसके लिये आपको बाजार के सभी शेयरों के भाव देखने जरूरत नही पड़ती है।

अतः सरल भाषा में यह कह सकते हैं कि सूचकांक ही पूरे शेयर बाजार की सारी स्थित से हमें अवगत करा देता है।

कंपनियां Stock Exchange में  लिस्ट कैसे होती हैं ?

किसी भी कंपनी को शेयर बाजार में अपना शेयर बेचने के लिए पहले BSE या NSE में पंजीकृत होना पड़ता है।
इसके तहत कंपनी को शेयर बाजार के साथ लिखित समझौता करना होता है।

भारत के प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड ( SEBI ) उस कंपनी के जरूरी प्रपत्रों की जांच करता है यदि कंपनी द्वारा दी जाने वाली सभी सूचनाएं सही होती हैं’ तथा वह कंपनी SEBI की सभी शर्तों को पूरा करती है, तो वह Stock Exchange में सूचीबद्ध हो जाती है।

इसके बाद कंपनी को अपनी उन सभी गतिविधियों की जानकारी जिससे निवेशकों के हित प्रभावित हो सकते है, समय – समय पर SEBI को देना होता है।

भारत का प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड  (SEBI) के कार्य  –

भारत का प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड संसद के एक्ट से 1992 में बनी एक स्वाधीन संस्था है।

इसका संचालन भारत सरकार का एक संवैधानिक बोर्ड करता है जिसे  SEBI के नाम से भी जाना जाता है ।

SEBI ही सभी Stock Exchange को नियंत्रित करता है और शेयर बाजार में होने वाले कारोबार पर नजर रखता है।

SEBI शेयर बाजार में निवेश करने वालो की समस्याओं और शिकायतों का समाधान करता है, एवं ‘ब्रोकरों’ का पंजीकरण भी SEBI के द्वारा ही होता है।

संक्षेप में कहा जाय तो SEBI का मुख्य कार्य निवेशकों के हित की रक्षा करना है जिससे कि  निवेशक के साथ किसी भी प्रकार की कोई धोखाधड़ी एवं नुकसान न होने पाए ।

SEBI के नियम – कानून बहुत ही सख्त होते हैं तथा अपने नियमो का काफी कड़ाई के साथ पालन भी करवाता है।

निष्कर्ष ( The Conclusion )

दोस्तों, इस लेख में शेयर बाजार और Stock Exchange से जुड़े हर पहलू को काफी आसान तरीके से सरल भाषा में बताने का प्रयास किया गया है।
आशा करता हूं कि इस लेख से शेयर बाजार में काम करने वालों और इस विषय से जुड़े छात्रों को जरूर कुछ न कुछ लाभ मिला होगा।
यदि अभी भी आपके मन में शेयर बाजार और Stock Exchange को लेकर कोई दुविधा या सवाल हो तो कमेंट लिख कर अवश्य अवगत कराएं।

आगे के लेख में शेयर ब्रोकर, डिमैट खाता तथा Intraday Trading कैसे होती है इन सब विषयों पर भी  विस्तार से चर्चा होती रहेगी।
आपको यह लेख कैसा लगा हमें जरूर बताएं और यदि लेख पसंद आया हो तो दोस्तों और रिश्तेदारों में भी शेयर करें।

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शेयर बाजार और Stock Exchange से संबंधित F&Q


Q – Nifty50 क्या होता है ?

Ans –  National Stock Exchange में सूचीबद्ध  50 बड़ी कंपनियों की सूची को Nifty 50 कहा जाता है।
जब इन 50 कंपनियों में से अधिकतर कंपनियों के शेयर के भाव मे तेजी आती है तो Nifty 50 में भी तेजी आती है।
Nifty 50 से शेयर बाजार की तेजी या मंदी का बहुत आसानी से पता चल जाता है।

Q – शेयर के भावों में हमेशा उतार – चढ़ाव क्यों होता रहता है ?

Ans – शेयर बाजार में भी मांग और पूर्ति का नियम लागू होता है। यदि खरीदने वाले ज्यादा होंगे तो मांग बढ़ती है और शेयर का भाव भी बढ़ जाता है।
और यदि बेचने वाले ज्यादा आ जाएंगे तो मांग घट जाएगी और शेयर का भाव भी गिर जाएगा।
इसके अलावा शेयर बाजार में सूचीबद्ध कंपनियों के व्यापार और स्थितियों में भी विभिन्न कारणों से बदलाव होते रहते हैं,  इन बदलावों से भी उस कंपनी के शेयर के भावों में परिवर्तन होता रहता है।
समय – समय पर सरकारी टैक्स और सरकार के नियमों में परिवर्तन होते रहते हैं इन सब बातों से भी शेयर के भावों मे उतार – चढ़ाव होता रहता है।


Q – Over the Counter Exchange of India ( OTCEI ) क्या है ?

Ans – OTCEI भी अन्य Stock Exchange की तरह ही एक Exchange था जिसकी स्थापना सन 1992 में हुई थी तथा इसका मुख्यालय मुम्बई में था। परन्तु 2015 में इस Exchange को बंद कर दिया गया है।
यहाँ पर उन छोटी – छोटी कंपनियों को लिस्ट किया जाता था जिनका वार्षिक टर्नओवर 30 लाख से 25 करोड़ के बीच होता था।
भारत मे सबसे पहले ऑनलाइन ट्रेडिंग की शुरुआत करने श्रेय भी OTCEI एक्सचेंज को ही जाता है।

Q – Stock Exchange और Commodity Exchange में क्या अन्तर है ?

Ans – आसान भाषा मे समझे तो Stock Exchange में उन कंपनियों के शेयर की ट्रेडिंग होती है जो विभिन्न प्रकार के कच्चे माल से अपने उत्पाद तैयार करती है।
जैसे – फार्मा कंपनियां, कार और बाइक कंपनियां, FMCG आदि।
Commodity Exchange में उन वस्तुवों की ट्रेडिंग  होती है जो मानव निर्मित न होकर प्रकृति द्वारा निर्मित होती हैं।
कमोडिटी दो प्रकार की होती है। पहली कृषि वस्तुवें जैसे – गेहूं, चावल, चना, कपास आदि।
दूसरी गैर कृषि वस्तुवें जैसे – प्राकृतिक गैस, सोना – चांदी, क्रूड ऑयल, लोहा, जिंक आदि।
स्टॉक और कमोडिटी में अन्तर जानने के लिए यह लेख भी पढ़ सकते हैं।

 

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