Bond Vs PPF: निवेश का सही चुनाव कैसे करें?
भारत की अर्थव्यवस्था जैसे -जैसे प्रगति कर रही है, निवेश के भी नए – नए विकल्प उभर कर सामने आ रहे हैं, लेकिन एक निवेशक के लिए निवेश का सही विकल्प चुनना एक महत्वपूर्ण निर्णय होता है, जो उनके वित्तीय लक्ष्यों और जोखिम सहने की क्षमता के अनुकूल हो।अधिकांश भारतीय निवेशक सुरक्षित और ज्यादा रिटर्न पाने के लिए फिक्स्ड इनकम इंस्ट्रूमेंट्स पर ही भरोशा करते हैं जैसे कि बैंक एफडी, पीपीएफ, बॉन्ड और पोस्ट ऑफिस की तमाम जमा स्कीम्स आदि।
इस लेख में हम दो प्रमुख निवेश विकल्प पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) और बॉन्ड्स (Bond) की बात करेंगे, इनकी विशेषताओं, लाभ और जोखिम आदि की तुलना करेंगे और देखेंगे कि निवेश के लिए दोनों में से कौन बेहतर विकल्प हो सकता है।
पब्लिक प्रोविडेंट फंड / What is Public Provident Fund
पहले बात करते हैं पब्लिक प्रोविडेंट फंड की, पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) भारत सरकार द्वारा संचालित एक दीर्घकालिक बचत योजना है। यह योजना 15 वर्षों के लिए होती है, जिसमें निवेशक सालाना न्यूनतम 500 रुपये और अधिकतम 1.5 लाख रुपये तक जमा कर सकते हैं।
इसमें निवेशक बैंक या डाकघर में खाता खुलवाकर निवेश कर सकते हैं, पीपीएफ खाता खुल जाने के बाद उसे एक्टिव बनाए रखने के लिए हर साल उसमे न्यूनतम धनराशि जमा करना होता है। पीपीएफ खाते में जमा धनराशि पर ब्याजदर सरकार द्वारा ही तय किया जाता है, सरकार हर तिमाही इसके ब्याज दरों की समीक्षा करती है और आवश्कता होने पर इसमें बदलाव भी कर सकती है, मौजूदा समय यह ब्याज दर करीब 7.1% वार्षिक है और यह सलाना आधार पर कंपाउंड होती है।
पीपीएफ खाते में निवेश की गई रकम और इस पर मिलने वाले रिटर्न पर इनकम टैक्स लाभ भी मिलता हैं।
बॉन्ड क्या हैं?/What are Bond
बॉन्ड एक प्रकार का ऋण साधन है, जब सरकार या किसी कंपनी को पैसों की आवश्कता होती हैं तो वह पब्लिक से उधार लेने के लिए बॉन्ड जारी करती है जिसमें निवेशक किसी कंपनी या सरकार को एक निश्चित अवधि के लिए फंड या ऋण देता है और इसके बदले में बॉन्ड जारी करने वाला एक निश्चित ब्याज देता है इसे कूपन कहा जाता है।
इसे एक उदाहरण से समझ सकते हैं जैसे कि कोई निवेशक 5 वर्ष की अवधि हेतु सलाना 10% का कूपन ऑफर करने वाले बॉन्ड में 20000 रूपये निवेश करता है तो, तो इस निवेशक को ब्याज के तौर पर हर साल 5 साल तक ₹2000 प्राप्त होंगे और जब यह बॉन्ड मैच्योर हो जाएगा तो निवेशक को उसके द्वारा निवेश की गई रकम ₹20000 उसे वापस कर दी जाएगी।
बाजार में कई प्रकार के बॉन्ड उपलब्ध हैं और इनमे से ज्यादा तर को स्टॉक एक्सचेंज के माध्यम से ही खरीदा या बेचा जा सकता है।
यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि बॉन्ड पर मिलने वाला ब्याज कर योग्य होता है और इस पर नियमानुसार आयकर का भुगतान भी करना पड़ सकता है।
बॉन्ड और पीपीएफ में अंतर/ Bond Vs PPF in Hindi
बॉन्ड (Bond) | पीपीएफ स्कीम (PPF) |
यह एक प्रकार का ऋण है जो सरकार या कंपनियों द्वारा पब्लिक से पैसे जुटाने के लिए जारी किया जाता है। | पीपीएफ भारत सरकार द्वारा संचालित एक निश्चित आय जमा योजना है। |
यदि बॉन्ड जारी कर्ता दिवालिया हो जाता है अथवा रिपेमेंट में चूक जाता है तो निवेशकों को नुकसान हो सकता है, इसे क्रेडिट जोखिम कहा जाता है। | पीपीएफ सरकार द्वारा संचालित योजना है इसलिए इसमें जोखिम की संभावना नहीं होती है। |
निवेश की रकम पूरी तरह से बॉन्ड के मूल्य पर निर्भर करती है, और इसमें न्यूनतम ₹10000 से निवेश की शुरुआत होती है। | पीपीएफ में न्यूनतम 500 रूपये सलाना से निवेश की शुरुआत की जा सकती है। |
यह एकमुश्त अर्थात वन टाइम निवेश होता है। | इसमें सलाना आधार पर 15 साल तक निवेश होता है। |
बॉन्ड की ब्याज दर, बॉन्ड जारी करने वाले की ओर से निर्धारित होती है और एक बार तय हो जाने के बाद पूरी अवधि में बदली नहीं जाती है। | पीपीएफ की ब्याजदर सरकार द्वारा निर्धारित होती है, और हर तिमाही इसकी समीक्षा की जाती है, आवश्यकतानुसार इसमें बदलाव भी हो सकता है। |
जीरो कूपन बॉन्ड, सरकारी बॉन्ड,सांवरेन गोल्ड बॉन्ड, कॉरपोरेट बॉन्ड आदि जैसे कई प्रकार के बॉन्ड बाजार में उपलब्ध हैं। | पीपीएफ खाता केवल एक प्रकार का ही होता है और इसे डाकघर या बैंक में खोला जा सकता है। |
बॉन्ड में निवेश की अवधि आमतौर पर 1 से 10 साल तक की होती है। यह अवधि आप द्वारा चुने गए बॉन्ड पर निर्भर होती है। | पीपीएफ खाते की अवधि 15 साल होती है, इसे 5 साल के लिए और बढ़ाया जा सकता है। |
कोई भी भारतीय नागरिक जितना चाहे उतने बॉन्ड में निवेश कर सकता है। | पीपीएफ खाता केवल भारतीय नागरिक ही खुलवा सकता है और एक व्यक्ति केवल एक खाता ही रख सकता है। |
बॉन्ड की खरीद – बिक्री स्टॉक एक्सचेंज के माध्यम से होती है, इसलिए इन्हें मौजूदा बाजार कीमतों पर खरीदा या बेचा जा सकता है। | पीपीएफ खाते की खरीद-बिक्री नहीं हो सकती है, इसकी अवधि 15 वर्ष तय होती है, इस तय अवधि को बदला नहीं जा सकता है। |
कुछ खास बॉन्ड को छोड़कर ज्यादा तर बॉन्ड टैक्सबल होते हैं और आयकर नियमानुसार 10% टीडीएस कटता है। | निवेश की गई रकम और मैचुरिटी पर मिलने वाली रकम टैक्स फ्री होती है। |
निष्कर्ष
बॉन्ड और पीपीएफ दोनों के ही कुछ फायदे हैं तो कुछ नुकसान भी हैं। यदि आप एक सुरक्षित और करमुक्त निवेश की तलाश में हैं तो पीपीएफ आपके लिए अच्छा विकल्प हो सकता है क्योंकि यह दीर्घकलिक निवेश है और सरकार द्वारा संचालित होने के कारण पूरी तरह से सुरक्षित भी है।
वहीं अगर आप अधिक लचीलापन और विविधता भरा निवेश चाहते हैं तो बॉन्ड में निवेश आपके लिए बेहतर विकल्प साबित हो सकता है। बॉन्ड विभिन्न प्रकार और विभिन्न अवधि के आते हैं, जिन्हें अपनी निवेश योजना के अनुसार चुन सकते हैं।
अंततः किसी भी योजना में आपका निवेश निर्णय आपके व्यक्तिगत वित्तीय लक्ष्यों, जोखिम और निवेश की अवधि पर निर्भर करता है। सही जानकारी और सोच -समझकर लिया गया निर्णय ही आपको सबसे बेहतर रिटर्न दिला सकता है।
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